ओवरव्यू/विवरण लक्षित दर्शक अपेक्षित अवधि अध्याय उद्देश्य पाठ्यक्रम संख्या ओवरव्यू/विवरण
'जिसका अस्तित्व है उसमें परिवर्तन होना ही है, परिवर्तन है तो परिपक्वता है, और परिपक्वता का अर्थ है स्वयं का अनंत सीमाओं तक विस्तार'। यह कथन उन्नीसवीं शताब्दी के फ़्रांसीसी दर्शनशास्त्री हेंरी बर्गसन का है। उन्नीसवीं शताब्दी से, हमारे जीवन के सभी पहलुओं में बड़ी तेज़ रफ्तार से परिवर्तन हुए हैं और आज के प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक परिवेश में परिवर्तन के साथ चलना एक अनिवार्यता बन चुका है। लीडर या मैनेजर, चाहे वे किसी भी उद्योग अथवा संगठन से क्यों न जुड़े हों, उन्हें इस बात की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए कि संगठनात्मक परिवर्तन कितना महत्वपूर्ण होता है ताकि वे अपने संगठनों को आगे ले जा सकें। यह पाठ्यक्रम परिवर्तन के अर्थ के साथ-साथ, संगठन में परिवर्तन को लागू करने के महत्व और लाभों को भी रेखांकित करता है। इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के तीन संगठनात्मक परिवर्तनों के बारे में भी बताया गया है: कार्यनीतिक समायोजन, कार्यनीतिक रीओरिएंटेशन और व्यापक परिवर्तन। अंततः, इस पाठ्यक्रम में परिवर्तन के लिए आवंटित समय, परिवर्तन की अपेक्षित सीमा, और संगठन के भीतर परिवर्तन के संभावित प्रतिरोध जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए संगठनात्मक परिवर्तन के प्रबंधन की विभिन्न व्यावहारिक विधियां भी शामिल हैं।
लक्षित दर्शक
कोई मैनेजर या लीडर जिसकी संगठनात्मक परिवर्तन को लीड या मैनेज करने में रुचि हो